ट्रंप या हैरिस.. इंडियन इकोनॉमी के लिए बेहतर कौन? हार-जीत पर टिकी भारत की निगाहें

India-US Economic Relations: अमेरिका आज अपना नया राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान कर रहा है. इस बार का मुकाबला डेमोक्रेट कमला हैरिस और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के बीच है. अमेरिका एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति है और इसका चुनाव पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था

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India-US Economic Relations: अमेरिका आज अपना नया राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान कर रहा है. इस बार का मुकाबला डेमोक्रेट कमला हैरिस और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के बीच है. अमेरिका एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति है और इसका चुनाव पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर डालता है. इसलिए भारत सहित विश्व के कई देशों की नजरें इस पर टिकी हैं. बड़ा सवाल यह है कि ट्रंप या हैरिस में से कौन भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर साबित हो सकता है?

वैश्विक आर्थिक दबाव में भारत

अमेरिका की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति का प्रभाव हर देश पर पड़ता है, और भारत की अर्थव्यवस्था भी इससे अछूती नहीं है. जानकारों की मानें तो अमेरिकी चुनाव के दौरान हमारे बाजार में भी दबाव देखा गया है. इस असमंजस की स्थिति के कारण निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई थी, जो कि चुनाव के नतीजे के बाद धीरे-धीरे स्पष्ट होगी. उनका कहना है कि जैसे ही चुनाव का नतीजा स्पष्ट होता है. बाजार में स्थिरता और सुधार आने की संभावना बढ़ जाती है.

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ट्रंप का समर्थन

एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर डोनाल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद हो सकता है. ट्रंप का व्यवसाय-समर्थक रुख और उनकी नीतियां भारतीय अर्थव्यवस्था को सहयोग दे सकती हैं. रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार होने के कारण ट्रंप का ध्यान व्यवसाय को बढ़ावा देने पर रहता है, जो भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था को सहारा दे सकता है.

हैरिस का दृष्टिकोण: क्या होगा भारतीय बाजार पर असर?

दूसरी ओर, कमला हैरिस का दृष्टिकोण टैक्स सुधारों और कैपिटल गेन टैक्स की ओर झुका हुआ है. हैरिस का यह रुख कैपिटल इकोनॉमी के खिलाफ जा सकता है. उनकी नीतियां अमेरिकी अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलाव ला सकती हैं, जो कि भारतीय निवेशकों और व्यापारिक संबंधों पर कुछ हद तक असर डाल सकता है. हालांकि, इसके बावजूद वह किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं करते हैं.

मजबूत अमेरिकी-भारतीय संबंध

भारत के अमेरिका के साथ राजनीतिक और व्यापारिक संबंध पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुए हैं. चाहे रिपब्लिकन हों या डेमोक्रेट, दोनों पार्टियों के साथ भारत के रिश्ते सामान्यत: सकारात्मक ही रहे हैं. लेकिन व्यापार-समर्थक दृष्टिकोण के चलते रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति का आना भारत के लिए अधिक अनुकूल माना जा सकता है.

ट्रंप का रुख और वैश्विक शांति

पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने निरस्त्रीकरण की नीति अपनाई थी. जिससे वैश्विक सशस्त्र संघर्षों पर लगाम लगी थी. अगर ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो संभावना है कि उनके शांतिप्रिय रुख से वैश्विक स्तर पर संघर्ष कम हो सकते हैं. जिससे व्यापारिक और आर्थिक स्थिरता को लाभ मिल सकता है.

चुनाव का असर भारतीय बाजार पर

अमेरिकी चुनाव के कारण भारतीय बाजार में भी अनिश्चितता बनी हुई थी. जैसे ही चुनावी परिणाम स्पष्ट होंगे, भारतीय बाजार में सुधार की उम्मीद है. मंगलवार के मतदान के बाद बुधवार से रुझान आने शुरू हो जाएंगे. जिससे निवेशकों में विश्वास बढ़ सकता है और बाजारों में स्थिरता आ सकती है.

भारत के लिए बेहतर विकल्प कौन?

अमेरिकी चुनाव का परिणाम भारतीय अर्थव्यवस्था पर किस तरह का असर डालेगा, यह पूरी तरह से नए राष्ट्रपति की नीतियों पर निर्भर करता है. जहां ट्रंप का बिजनेस-फ्रेंडली रुख भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है, वहीं हैरिस का टैक्स सुधारों पर जोर भारतीय बाजार में चुनौती पैदा कर सकता है. अब यह देखना बाकी है कि अमेरिकी जनता किसे चुनती है और इसके नतीजे का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर किस तरह पड़ता है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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